तुम कहो तो एक ख़्वाब बुनूं
सर्दियों का मौसम है
धूप में बैठूं
हवाओं को पकडूं
तुम्हें याद करूं
कुछ लिखूं तुमपे
कोई नई बात कहूं
तुम कहो तो
एक ख़्वाब बुनूं...! ❣️
तुम सोचते हो
सोचते हो कि बहुत कुछ है सोचने को
और फिर सोचते हो कि
किन बातों को आज रात के लिए सोचो तुम
क्योंकि हर रात है कुछ सोचने को तुम्हारे हिस्से में
और हर सुबह तुम्हें बंद कर देना होता है सोचना
तुम्हें भागना होता है इधर उधर
ताकि तुम शाम तक इकट्ठा कर लाओ कुछ और नई बातें
और फिर रात भर उनमें से कुछ को चुनो
और बाकि को डाल दो दिमाग के किसी कोने में
ताकि कभी कुछ न मिला तो वो काम आएंगी
तुम जिंदगी भर
सोचते हो
कि तुमने जो सोचा वो नहीं हुआ
फिर तुम सोचते हो कि क्यों नहीं हुआ
तुम जाते हो अतीत में बार बार
विचरण करते हो वहां
और खोजते रहते हो कारण
तुम ऐसे ही जीते हो अपने वर्तमान को
और तुम नहीं बना पाते फिर
अपना सोचा हुआ भविष्य
और फिर तुम सोचते हो
कि सोचा हुआ कुछ हो क्यों नहीं रहा
तुम रिश्ते बनाते हो
खूब निभाते हो
फिर एक दिन तुम्हें पता लगता है
कि वो तुम्हारा नहीं था
जिसपे तुमने निवेश किया
अपना वक्त और अपनी भावनाएं
फिर तुम सोचते हो कि आखिर तुम्हारे साथ ऐसा क्यों हुआ
तुम्हारी क्या गलती थी
ऐसे ही तुम निकाल देते अपने जीवन का न जाने कितना वक्त
सोचते हुए
बहुत कुछ
जो तुम्हारे साथ हुआ और ना हुआ
लेकिन इन सब के बीच तुम नहीं सोचते
कि जीवन ऐसा ही है
बस ऐसा ही जैसा तुम्हारे साथ है!