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 Diwali Puja Vidhi: (दिवाली  पूजा विधि ) 


Diwali Puja Vidhi in Hindi:दिवाली भारत का सबसे महत्वपूर्ण तैयोहार है इस तैयोहरा को सभी धर्म के लोग बड़ी ही खुसी के साथ  मानते है, Diwali Puja Vidhi in Hindi दिवाली का त्यौहार अमावस्या के दिन मनाया जाता है, Diwali Puja Vidhi in Hindi दिवाली के दिन सभी मिल कर पुरे घर को दीये जला कर साजते है और सपरिवार मात लक्ष्मी और भगवान गणेश कि पूजा कर अखिलविश्व की मंगल कामना कमाना करते है (Diwali Puja Vidhi in Hindi)

कहा जाता है कि दिवाली का त्यौहार भगवन राम के वनवास से वापस आने कि खुसी में मनाया जात है| इस दिन मात लक्ष्मी गणेश पूजन ( Diwali Puja vidhi in Hindi ) का विधान है|

Diwali Puja 2023 Date : 12 November 2023

दीपावली पूजा मुहूर्त (Deepawali Puja Muhurat)

दीपावली के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी जी की पूजा होती है। मान्यता है कि इस समय लक्ष्मी जी की पूजा करने से मनुष्य को कभी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। इस साल पूजा का शुभ मुहूर्त है|

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (Lakshmi Puja Muhurat):
शाम 05:57 से लेकर रात को 07: 53 तक
महानिशा काल पूजा मुहूर्त:

रात्रि 11:38 से लेकर रात को 12:31 तक


पूजा में आवश्यक साम्रगी (Important Things for Diwali Puja)

महालक्ष्मी पूजा या दिवाली  पूजा के लिए रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए।

पवित्रीकरण करें:

पंच-पात्र में से फूल अथवा चम्मच द्वारा थोड़ा जल अपने बाएं हाथ मे लेकर दाएं हाथ की चारों अंगुलियों से पूजा की सारी सामग्री व उपस्थित सभी व्यक्तियों पर जल छिड़कते हुए लिखे हुए मंत्र का उच्चारण कर,सभी सामग्री और उपस्थित जन-समूह के साथ अपने आप को पवित्र कर लें।

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्व अवस्थांगत: अपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्य अभ्यन्तर: शुचिः॥
ॐ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु,
ॐ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।

आचमन विधि:


पुष्प या चम्मच से दाएँ हाथ में जल लें। अब “ॐ केशवाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को पी लें।
फिर पुष्प या चम्मच से दाएँ हाथ में जल लें। अब “ॐ नारायणाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को पी लें।
फिर पुष्प या चम्मच से दाएँ हाथ में जल लें। अब “ॐ वासुदेवाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को पी लें।
फिर “ॐ हृषिकेशाय नमः” कहते हुए दाएँ हाथ के अंगूठे के मूल से होंठों को दो बार पोंछकर हाथों को धो लें।

पृथ्वी पूजन:

अपने दाएँ हाथ मे पुन: थोड़ा जल लेकर लिखे हुए मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को पृथ्वी पर छिड़कें तथा पृथ्वी पर सफेद और लाल,चंदन,पुष्प व चावल छोड़ें ।

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम्‌॥

दीपक पूजन:

अब दीपक प्रज्जवलित कर पुष्प हाथ में लेकर दीपक का ध्यान करते हुए दीप पूजन मंत्र का उच्चारण करें तथा पुष्प दीपक के पास छोड़े ।

भो दीप देवरूप: त्वं कर्मसाक्षी हि अविघ्नकृत्।
यावत् कर्म समाप्ति: स्यात् तावत् अत्र स्थिरोभव ॥

गुरु वंदना:

गुरु का चित्र (गुरु न हो तो महालक्ष्मी को ही गुरु माने) चौकी पर दाएँ हाथ की ओर स्थापित करें।सर्वप्रथम गुरु के चित्र को गीले वस्त्र से पोंछे, उसके बाद रोली,धूप-दीप,चंदन,पुष्पादि चढ़ायें। फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।

गुरु: ब्रह्मा गुरु: विष्णु: गुरु: देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
अखण्ड मण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ।।
ॐ गुरुवे नम:। ॐ परम गुरुवे नम:।
ॐ परातार गुरुवे नम:। ॐ परमेश्टी गुरुवे नम:।
ॐ गुरु पंक्ते नम:।

लक्ष्मी मंत्र (Laxmi Mantra in Hindi)

लक्ष्मी जी की पूजा के समय निम्न मंत्र का लगातार उच्चारण करते रहना चाहिए:
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: ॥


Diwali Pujan Vidhi in Hindi {Deepavali}:

कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवताओं की पूजा निम्न विधि (Diwali Pooja Vidhi) से करनी चाहिए। इस दिन संभव हो तो दिन में भोजन नहीं करना चाहिए।

घर में शाम के समय पूजा घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर तथा चावल रखकर स्थापित करना चाहिए। मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए। इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए।

गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि- विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इनके साथ- साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, काली मां और कुबेर देव की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे दीप तथा एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।

सभी छोटे दीप को घर के चौखट, खिड़कियों व छतों पर जलाकर रखना चाहिए तथा बड़े दीपक को रात पर जलता हुआ घर के पूजा स्थान पर रख देना चाहिए।

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