Diwali Essay in Hindi, Diwali Essay, Diwali Essays (हिंदी निबंध: दीपावली)

 Diwali essay Hindi


 1. प्रस्तावना – प्रत्येक समाज त्योहारों के माध्यम से अपनी खुशी एक साथ प्रकट करता है। हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार होली, रक्षाबंधन, दशहरा और दीपावली हैं। इनमें से दीपावली सबसे प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार का ध्यान आते ही मन-मयूर नाच उठता है। यह त्योहार दीपों का पर्व होने से हम सभी का मन आलोकित करता है।

दीपावली कब-क्यों मनाई जाती है – यह त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। कहते हैं भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था।

श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध भी इसी दिन किया था। यह दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है। इन सभी कारणों से हम दीपावली का त्योहार मनाते हैं।
दीपोत्सव मनाने की तैयारियां – यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है।
नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। वर्षा के बाद की गंदगी भव्य आकर्षण, सफाई और स्वच्‍छता में बदल जाती है। लक्ष्मी जी के आगमन में चमक-दमक की जाती है।


उत्सव –

यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने बहीखाते नए बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्‍छा माना जाता है। अमावस्या के दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है।


खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। फुलझड़ी, पटाखे छोड़े जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियां मन को मोह लेती हैं। दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है।


अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। गृहिणियां मेहमानों का स्वागत करती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योहार मनाते हैं।


उपसंहार –

दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं, जो घर व समाज के लिए बड़ी बुरी बात है।


हमें इस बुराई से बचना चाहिए। पटाखे सावधानीपूर्वक छोड़ने चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दुख न पहुंचे, तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा।


Diwali Essay for Class 3


2. दीपावली, भारत में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली या दिवाली नाम दिया गया। दीपावली का मतलब होता है, दीपों की अवली यानि पंक्ति। इस प्रकार दीपों की पंक्तियों से सुसज्ज‍ित इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह महापर्व, अंधेरी रात को असंख्य दीपों की रौशनी से प्रकाशमय कर देता है।

दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियां हैं। हिंदू मान्यताओं में राम भक्तों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा असुरी वृत्तियों के प्रतीक रावणादि का संहार करके अयोध्या लौटे थे।
तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इसीलिए दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए। एक पौराणिक कथा के अनुसार विंष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए।

जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही है। सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। इसके अलावा 1619 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था।

नेपालियों के लिए यह त्योहार इसलिए महान है क्योंकि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष शुरू होता है। पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान करते समय ‘ओम’ कहते हुए समाधि ले ली। महर्षि दयानंद ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। इन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। 

त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है,वह इस दिन पूरे चरम पर आता है। यह पर्व अलग-अलग नाम और विधानों से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी कि इसी दिन अनेक विजयश्री युक्त कार्य हुए हैं।

बहुत से शुभ कार्यों का प्रारम्भ भी इसी दिन से माना गया है। इसी दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। विक्रम संवत का आरंभ भी इसी दिन से माना जाता है। यानी यह नए वर्ष का प्रथम दिन भी है। इसी दिन व्यापारी अपने बही-खाते बदलते हैं तथा लाभ-हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं।

हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बांटते हैं,एक दूसरे से मिलते हैं।

घर-घर में सुन्दर रंगोली बनाई जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक,सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है।

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3. हिन्दू धर्म में यों तो रोजाना कोई न कोई पर्व होता है लेकिन इन पर्वों में मुख्य त्यौहार होली, दशहरा और दीपावली ही हैं । हमारे जीवन में प्रकाश फैलाने वाला दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है । इसे ज्योति पर्व या प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है ।
इस दिन अमावस्या की अंधेरी रात दीपकों व मोमबत्तियों के प्रकाश से जगमगा उठती है । वर्षा ऋतु की समाप्ति के साथ-साथ खेतों में खड़ी धान की फसल भी तैयार हो जाती है । दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को आता है । इस पर्व की विशेषता यह है कि जिस सप्ताह में यह त्यौहार आता है उसमें पांच त्यौहार होते हैं ।

इसी वजह से सप्ताह भर लोगों में उल्लास व उत्साह बना रहता है । दीपावली से पहले धन तेरस पर्व आता है । मान्यता है कि इस दिन कोई-न-कोई नया बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए । इस दिन नया बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है । इसके बाद आती है छोटी दीपावली, फिर आती है दीपावली । इसके अगले दिन गोवर्द्धन पूजा तथा अन्त में आता है भैयादूज का त्यौहार ।

अन्य त्यौहारों की तरह दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं । समुद्र-मंथन करने से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थी । इसके अलावा जैन मत के अनुसार तीर्थंकर महावीर का महानिर्वाण भी इसी दिन हुआ था ।

भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुष श्री राम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे उनके अयोध्या आगमन पर अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए घरों को सजाया व रात्रि में दीपमालिका की ।

ऐतिहासिक दृष्टि से इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं में सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह मुगल शासक औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे । राजा विक्रमादित्य इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे । सर्वोदयी नेता आचार्य विनोबा भावे दीपावली के दिन ही स्वर्ग सिधारे थे । आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ जैसे महापुरुषों ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था ।

यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है । इस दिन लोगों द्वारा दीपों व मोमबत्तियाँ जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात में बदल जाती है । इस त्यौहार के आगमन की प्रतीक्षा हर किसी को होती है ।

सामान्यजन जहां इस पर्व के आने से माह भर पहले ही घरों की साफ-सफाई, रंग-पुताई में जुट जाते हैं । वहीं व्यापारी तथा दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगते हैं । इसी त्यौहार से व्यापारी लोग अपने बही-खाते शुरू किया करते हैं । इस दिन बाजार में मेले जैसा माहौल होता है ।

बाजार तोरणद्वारों  तथा रंग-बिरंगी पताकाओं से सजाये जाते हैं । मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं । इस दिन खील-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है । बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियां तथा अन्य आतिशबाजी खरीदते हैं ।

इस दिन रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन होता है । माना जाता है कि इस दिन रात को लक्ष्मी का आगमन होता है । लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहां मिठाई का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकानाएँ लेते-देते हैं । वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस त्यौहार का अपना एक अलग महत्व है ।

इस दिन छोड़ी जाने वाली आतिशबाजी व घरों में की जाने वाली सफाई से वातावरण में व्याप्त कीटाणु समाप्त हो जाते हैं । मकान और दुकानों की सफाई करने से जहां वातावरण शुद्ध हो जाता है वहीं वह स्वास्थ्यवर्द्धक भी हो जाता है ।

कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं व शराब पीते हैं, जोकि मंगलकामना के इस पर्व पर एक तरह का कलंक है । इसके अलावा आतिशबाजी छोड़ने के दौरान हुए हादसों के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं जिससे धन-जन की हानि होती है । इन बुराइयों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है ।


Essay on Diwali for School Students in Hindi Language (दीपावली)


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4. ‘तमसो माँ ज्योतिर्गमय’ की वेदोक्ति हमें अन्धकार को छोड़ प्रकाश की ओर बढ़ने की विमल प्रेरणा देती है । अन्धकार अज्ञान तथा प्रकाश ज्ञान का प्रतीक होता है । जब हम अपने अज्ञान रूपी अन्धकार को हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश को प्रज्जलित करते हैं, तो हमे एक असीम व अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है ।

दीपावली भी हमारे ज्ञान रूपी प्रकाश का प्रतीक है । अज्ञान रूपी अमावस्या में हम ज्ञान रूपी दीपक जलाकर ससार की सुख व शान्ति की कामना करते हैं । दीपावली का त्यौहार मनाने के पीछे यही आध्यात्मिक रहस्य निहित है ।

तात्पर्य व स्वरूप:

दीप+अवलि से दीपावली शब्द की व्यत्पत्ति होती है । इस त्यौहार के दिन दीपो की अवलि पक्ति बनाकर हम अन्धकार को मिटा देने में जुट जाते हैं । दीपावली का यह पावन पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है ।

गर्मी व वर्षा को विदा कर शरद के स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है । उसके बाद शरद चन्द्र की कमनीय कलाएँ सबके चित्त-चकोर को हर्ष विभोर कर देती हैं । शरद पूर्णिमा को ही भगवान् कृष्ण ने महारास लीला का आयोजन किया था ।

महालक्ष्मी पूजा:

यह पर्व प्रारम्भ में महालक्ष्मी पूजा के नाम से मनाया जाता था । कार्तिक अमावस्या के दिन समुद्र मथन   में महालक्ष्मी का जन्म हुआ । लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण धन के प्रतीक स्वरूप इसको महालक्ष्मी पूजा के रूप में मनाते आये । आज भी इस दिन घर में महालक्ष्मी की पूजा होती है ।

ज्योति पर्व दीपावली के रूप में:

भगवान् राम ने अपने चौदह वर्ष का वनवास समाप्त कर, पापी राबण का वध करके महालक्ष्मी के पुण्य अवसर पर अयोध्या पहुंचने का निश्चय किया, जिसकी सूचना हनुमान द्वारा पहले ही पहुँचा दी गयी ।

इसी प्रसन्नता में अयोध्यावासियो ने राम के स्वागतार्थ घर-घर में दीप मालाएँ प्रज्ज्वलित कर दी । महालक्ष्मी की पूजा का यह पर्व तब से राम के अयोध्या आने की खुशी में दीप जलाकर मनाया जाने लगा और यह त्यौहार दीपावली के ही नाम से प्रख्यात हो गया ।

स्वच्छता का प्रतीक:

दीपावली जहाँ अन्त:  करण के ज्ञान का प्रतीक है वही बाह्य स्वच्छता का प्रतीक भी है । घरों में मच्छर, खटमल, पिम्स आदि विषैले किटाणु धीरे-धीरे अपना घर बना लेते हैं । मकड़ी के जाले लग जाते हैं, इसलिये दीपावली से कई दिन पहले से ही घरो की लिपाई-पोताई-सफेदी हो जाती है । सारे घर को चमका कर स्वच्छ किया जाता है । लोग अपनी परिस्थिति के अनुकूल घरों को विभिन्न प्रकारेण सजाते हैं ।

दीपावली को मनाने की परम्परा:

दीपावली जैसा कि उसके नाम से ही ज्ञात होता है, घरो  में दीपों की पंक्ति बना कर जलाने की परम्परा है । वास्तव में प्राचीन काल से इस त्यौहार को इसी तरह मनाते आये हैं । लोग अपने मकानों की मुण्डेरो में, प्रागण की दीवालों में, दीपो की पंक्ति बनाकर जलाते हैं । मिट्टी के छोटे-छोटे दीपो में तेल, बाती, रख कर उन्हें पहले से पंक्तिबद्ध रखा जाता है ।

आजकल मोमबत्तियाँ लाईन बनाकर जलाई जाती हैं । दीपावली के दिन नवीन व स्वच्छ वस्त्र पहनने की परम्परा भी है । लोग दिन भर बाजार से नवीन वस्त्र, बर्तन, मिठाई, फल आदि खरीदते हैं । दुकाने  बड़े आकर्षक ढंग से सजी रहती हैं ।

बाजारो, दुकानो की सजावट तो देखते ही बनती है । लोग घर पर मिठाई लाते हैं और उसे अपने मित्रो व सगे-सम्बन्धियों  में वितरित करते हैं । घर में भी विविध प्रकार के पकवान पकाये जाते हैं ।

त्यौहार में विकार:

किसी अच्छे उद्देश्य को लेकर बने त्यौहारो में भी कालान्तर में विकार पैदा हो जाते हैं । जिस लक्ष्मी की पूजा लोग धन-धान्य प्राप्ति हेतू बड़ी श्रद्धा से करते थे, उसकी पूजा कई लोग अज्ञानतावश रुपयों का खेल खेलने के लिये जुए के द्वारा भी करते हैं ।

जुआ खेलना एक प्रथा है जो समाज व पावन पर्सों के लिये  कलंक है । इसके अतिरिक्त आधुनिक युग में बम पटाखों के प्रयोग से भी कई दुष्परिणाम सामने आते हैं । निबन्ध ।

उपसंहार:

दीपावली का पर्व सभी पर्वो में एक विशिष्ट स्थान रखता है । हमे अपने पवाँ की परम्पराओ को हर स्थिति में सुरक्षित रखना चाहिए । परम्पराएँ हमे उसके प्रारम्भ व उद्देश्य की याद दिलाती हैं । परम्पराएँ  हमें उस पर्व के आदि काल में पहुँचा देती हैं, जहाँ हमे अपनी आदिकालीन सस्कृति का ज्ञान होता है ।

आज हम अपने  त्यौहारों को भी आधुनिक सभ्यता का रग देकर मनाते हैं, परन्तु इससे हमे उसके आदि स्वरूप को बिगाड़ना नहीं चाहिए । हम सबका कर्त्तव्य है कि हम अपने पवाँ की पवित्रता को बनाये रखे ।

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